भारतीय डाक सेवा (अंग्रेज़ी: India Post) भारत सरकार द्वारा संचालित डाकसेवा है जो ब्रांड नाम के तौर पर इंडिया पोस्ट या भारतीय डाक के नाम से काम करती है।
भारतीय डाक प्रणाली का जो उन्नत और परिष्कृत स्वरूप आज हमारे सामने है, वह हजारों सालों के लंबे सफर की देन है। अंग्रेजों ने डेढ़ सौ साल पहले अलग-अलग हिस्सों में अपने तरीके से चल रही डाक व्यवस्था को एक सूत्र में पिरोने की जो पहल की, उसने भारतीय डाक को एक नया रूप और रंग दिया। पर अंग्रेजों की डाक प्रणाली उनके सामरिक और व्यापारिक हितों पर केंद्रित थी। भारत की आजादी के बाद हमारी डाक प्रणाली को आम आदमी की जरूरतों को केंद्र में रख कर विकसित करने का नया दौर शुरू हुआ। नियोजित विकास प्रक्रिया ने ही भारतीय डाक को दुनिया की सबसे बड़ी और बेहतरीन डाक प्रणाली बनाया है। राष्ट्र निर्माण में भी डाक विभाग ने ऐतिहासिक भूमिका निभाई है और इसकी उपयोगिता लगातार बनी हुई है। आम आदमी डाकघरों और पोस्टमैन पर अगाध भरोसा करता है। तमाम उतार-चढ़ाव के बावजूद इतना जन विश्वास कोई और संस्था नहीं अर्जित कर सकी है। यह स्थिति कुछ सालों में नहीं बनी है। इसके पीछे बरसों का श्रम और सेवा छिपी है।
भारतीय डाक प्रणाली का जो उन्नत और परिष्कृत स्वरूप आज हमारे सामने है, वह हजारों सालों के लंबे सफर की देन है। अंग्रेजों ने डेढ़ सौ साल पहले अलग-अलग हिस्सों में अपने तरीके से चल रही डाक व्यवस्था को एक सूत्र में पिरोने की जो पहल की, उसने भारतीय डाक को एक नया रूप और रंग दिया। पर अंग्रेजों की डाक प्रणाली उनके सामरिक और व्यापारिक हितों पर केंद्रित थी। भारत की आजादी के बाद हमारी डाक प्रणाली को आम आदमी की जरूरतों को केंद्र में रख कर विकसित करने का नया दौर शुरू हुआ। नियोजित विकास प्रक्रिया ने ही भारतीय डाक को दुनिया की सबसे बड़ी और बेहतरीन डाक प्रणाली बनाया है। राष्ट्र निर्माण में भी डाक विभाग ने ऐतिहासिक भूमिका निभाई है और इसकी उपयोगिता लगातार बनी हुई है। आम आदमी डाकघरों और पोस्टमैन पर अगाध भरोसा करता है। तमाम उतार-चढ़ाव के बावजूद इतना जन विश्वास कोई और संस्था नहीं अर्जित कर सकी है। यह स्थिति कुछ सालों में नहीं बनी है। इसके पीछे बरसों का श्रम और सेवा छिपी है।
डाकिया डाक लाया..., चिठ्ठी आई है वतन से चिठ्ठी
आई है..., ख़त लिख दे सांवरिया के नाम बाबू..., या लिखे जो ख़त तुझे...
जैसे गीत आज हमारी यादों का हिस्सा हैं.
आज
इस मोबाइल, ई-मेल और कूरियर के युग में कम से कम महानगरों के नौजवानों के
लिये जगह जगह नज़र आने वाले डाक के इस लाल बक्से का कोई ख़ास महत्व न हो
लेकिन सच्ची बात तो यह है कि डाक भारतीयों के लिए विरासत है और यह जीवन का
एक अभिन्न अंग है.
इस के इर्द-गिर्द हमें दिखता है
यादों का कभी न ख़त्म होने वाला सिलसिला. दुनिया भर में इस हवाले से हमें
उपन्यास, कथाएँ, फ़िल्में और गीत देखने को मिलते हैं.
हर पल तेज़ी से बदलते हुए संचार माध्यमों के बीच भारतीय डाक की 150 वीं वर्षगाँठ जहाँ एक मील का पत्थर है वहीं एक अनूठा एहसास भी है.
शुरुआत
आज
भारतीय डाक के नाम से प्रसिद्ध इस प्रणाली की शुरूआत पहली अक्तूबर, 1854
को एक महानिदेशक के नियंत्रण वाले 701 डाकघरों के नेटवर्क के साथ हुई.
1854
के डाकघर अधिनियम ने डाकघर प्रबंधन का सम्पूर्ण एकाधिकार और पत्रों के
संवाहन का विशेषाधिकार सरकार को प्रदत्त करते हुए तत्कालीन डाक प्रणाली को
संशोधित किया.
इसी साल रेल डाक सेवा की भी स्थापना
हुई और भारत से ब्रिटेन और चीन के बीच समुद्री डाक सेवा भी शुरू की गई.
इसी वर्ष देश भर में पहला वैध डाक-टिकट भी जारी किया गया.
सामाजिक बदलाव को गति प्रदान करने की भूमिका निभाता हुआ वर्तमान भारतीय डाक परम्परा और आधुनिकता का समावेश है.
एक लाख 55 हज़ार से भी ज़्यादा डाकघरों वाला यह तंत्र विश्व की सब से बड़ी डाक प्रणाली है.
नेटवर्क
भारतीय डाक देश में सब से बड़ा रिटेल नेटवर्क भी है.
समय का साथ देते हुए इस ने ढेर सारी सुविधाएँ शुरू कीं जिन में मनीआर्डर और बचत बैंक महत्वपूर्ण हैं.
यह
देश का पहला बचत बैंक था और आज इसके 16 करोड़ से भी ज़्यादा खातेदार हैं
और डाकघरों के खाते में दो करोड़ 60 लाख करोड़ से भी अधिक राशि जमा है.
डाक विभाग का कहना है कि डाक विभाग का सालाना राजस्व 1570 करोड़ से भी अधिक है.
वर्तमान आवश्यकताओं को देखते हुए ई-गवर्नेंस, ई-पोस्ट और स्पीड-पोस्ट इत्यादि की शुरूआत की जा चुकी है.
आधुनिकीरण और रफ़्तार के इस दौड़ में अपनी भूमिका को निभाते रहने के बाद भी ऐसा लगता है कि कहीं न कहीं पीछे छूट गया है.
शौक
डाक कहीं ज़रूरत है तो कहीं शौक़ भी है.
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इस से जुड़ा है फ़िलाटेली यानी डाक-टिकट जमा एवं उसका अध्यन करने का शौक़.
भारतीय
डाक ने अपने विशेष डाक-टिकटों के द्वारा महत्वपूर्ण अवसर, व्यक्ति और घटना
को फ़र्स्ट डे कवर यानी प्रथम दिवस आवरण से प्रदर्शित भी किया है.
भारतीय डाक,डाकघर का इतिहास
1. भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी ने किस वर्ष अपना पहला डाकघर स्थापित किया?-1927 ( कोलकाता के ओल्ड पोस्ट ऑफिस स्ट्रीट मे है ) में
2. देश का सबसे पुराना डाकघर कहाँ है?—कोलकाता में ( जनरल पोस्ट ऑफिस )
3. वर्ष 1766 में किस अंग्रेज शासक ने प्रथमडाक व्यवस्था की शुरूआत की?— लार्ड क्लाइव ने
4. वर्ष 1774 में किसने आम जनता के व्यक्तिगतपत्रों को अपनी डाक व्यवस्था के माध्यम से वितरित करना शुरू किया?— ईस्टइंडिया कम्पनी ने
5. वर्ष 1874 में इम्पीरियल पोस्ट ऑफिस के लिए पोस्टमास्टर जनरल की नियुकित की गई। प्रथम पोस्टमास्टर जनरल कौन थे?—रेडफर्न
6. सरकारी कागजात एवं सामानों के लिए पार्सल व्यवस्था 2 दिसम्बर, 1784 को आरम्भ की गई। इस पार्सल व्यवस्था को किस नाम से जाना जाता था।— भंगी (Bhangy) डाक
7. पंजीवमत डाक व्यवस्था की शुरूआत कब की गई थी?— 1 नवम्बर, 1849 में ( बम्बई प्रेसीडेंसी में )
8. पोस्टऑफिस के अतिरिक्त अन्य स्थानों पर पत्र-पेटिका रखे जाने की व्यवस्था कब शुरू की गई।— अक्टूबर 1854 में
10. कलकत्ता शहर के व्यापार समुदाय की मांग पर कब से वी.पी.पी. के द्वारा अंतर्देशी पार्सल भेजने की व्यवस्था की गई।— 1 दिसम्बर 1877 में
11. अन्तर्देशीय पोस्ट कार्ड कब चालू किया गया?— 1 जुलाई, 1879 को
12. डाकघर बचत बैंक की व्यवस्था कब आरम्भ की गई?—1 अप्रैल, 1982 को
13. रेलवे मेल सर्विस ( R.M.S. ) कब शुरू की गई? — 1907 में
14. एयर मेल सर्विस की शुरूआत 18 फरवरी,1911 को की गई। हवाई जहाज से डाक भेजने वाला विश्व का पहला देश कौन है?— भारत
15. किन-किन शहरों के बीच कब एयर मेल सेवा शुरू की गई थी?— 1920 में मुम्बई और कराची के मध्य
16. भारत में पोस्टल आर्डर की सुविधा कब शुरू की गई?— 1935 में
17. किस वर्ष नदी के मार्ग से स्टीमर द्वारा डाक एक स्थान से दूसरे स्थान पहुँचायी गयी। स्टीमर द्वारा यह डाक
सेवा एशिया में प्रथम थी?— 1828 में ( कलकत्ता से इलाहाबाद )
18. भारत में जारी किया जाने वाला प्रथम डाक टिकट का नाम बताएं?—Scinde Dawk (Provincial) ( 1 जुलाई, 1852 को कराची से जारी किया गया )
19. स्वतंत्रता प्रापित के पूर्व डाक टिकट जारी करने वाली पहली भारतीय रियासत कौन थी?— काटियावाड़
रियासत ( गुजरात )
20. 21 नवम्बर, 1947 को स्वतंत्र भारत का पहला डाक टिकट किस नाम से जारी किया गया?— जय हिन्द
21. विश्व का द्वितीय एवं एशिया का प्रथम दो रंगी डाक टिकट कब और किस देश में छपा?— 15 अक्टूबर, 1854 को भारत में
22. भारत का पहला संस्मारक डाक टिकट कब जारी किया गया?— 9 फरवरी 1931 को
2. देश का सबसे पुराना डाकघर कहाँ है?—कोलकाता में ( जनरल पोस्ट ऑफिस )
3. वर्ष 1766 में किस अंग्रेज शासक ने प्रथमडाक व्यवस्था की शुरूआत की?— लार्ड क्लाइव ने
4. वर्ष 1774 में किसने आम जनता के व्यक्तिगतपत्रों को अपनी डाक व्यवस्था के माध्यम से वितरित करना शुरू किया?— ईस्टइंडिया कम्पनी ने
5. वर्ष 1874 में इम्पीरियल पोस्ट ऑफिस के लिए पोस्टमास्टर जनरल की नियुकित की गई। प्रथम पोस्टमास्टर जनरल कौन थे?—रेडफर्न
6. सरकारी कागजात एवं सामानों के लिए पार्सल व्यवस्था 2 दिसम्बर, 1784 को आरम्भ की गई। इस पार्सल व्यवस्था को किस नाम से जाना जाता था।— भंगी (Bhangy) डाक
7. पंजीवमत डाक व्यवस्था की शुरूआत कब की गई थी?— 1 नवम्बर, 1849 में ( बम्बई प्रेसीडेंसी में )
8. पोस्टऑफिस के अतिरिक्त अन्य स्थानों पर पत्र-पेटिका रखे जाने की व्यवस्था कब शुरू की गई।— अक्टूबर 1854 में
10. कलकत्ता शहर के व्यापार समुदाय की मांग पर कब से वी.पी.पी. के द्वारा अंतर्देशी पार्सल भेजने की व्यवस्था की गई।— 1 दिसम्बर 1877 में
11. अन्तर्देशीय पोस्ट कार्ड कब चालू किया गया?— 1 जुलाई, 1879 को
12. डाकघर बचत बैंक की व्यवस्था कब आरम्भ की गई?—1 अप्रैल, 1982 को
13. रेलवे मेल सर्विस ( R.M.S. ) कब शुरू की गई? — 1907 में
14. एयर मेल सर्विस की शुरूआत 18 फरवरी,1911 को की गई। हवाई जहाज से डाक भेजने वाला विश्व का पहला देश कौन है?— भारत
15. किन-किन शहरों के बीच कब एयर मेल सेवा शुरू की गई थी?— 1920 में मुम्बई और कराची के मध्य
16. भारत में पोस्टल आर्डर की सुविधा कब शुरू की गई?— 1935 में
17. किस वर्ष नदी के मार्ग से स्टीमर द्वारा डाक एक स्थान से दूसरे स्थान पहुँचायी गयी। स्टीमर द्वारा यह डाक
सेवा एशिया में प्रथम थी?— 1828 में ( कलकत्ता से इलाहाबाद )
18. भारत में जारी किया जाने वाला प्रथम डाक टिकट का नाम बताएं?—Scinde Dawk (Provincial) ( 1 जुलाई, 1852 को कराची से जारी किया गया )
19. स्वतंत्रता प्रापित के पूर्व डाक टिकट जारी करने वाली पहली भारतीय रियासत कौन थी?— काटियावाड़
रियासत ( गुजरात )
20. 21 नवम्बर, 1947 को स्वतंत्र भारत का पहला डाक टिकट किस नाम से जारी किया गया?— जय हिन्द
21. विश्व का द्वितीय एवं एशिया का प्रथम दो रंगी डाक टिकट कब और किस देश में छपा?— 15 अक्टूबर, 1854 को भारत में
22. भारत का पहला संस्मारक डाक टिकट कब जारी किया गया?— 9 फरवरी 1931 को
23. भारत के डाक टिकट में सम्मानित होने वाले पहले व्यक्ति कौन थे?—महात्मा गांधी ( 15 अगस्त, 1948
को जारी )
24. आकार की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा डाक टिकट किसका था?— राजीव गांधी ( 1991 में जारी किया गया )
25. स्पीट पोस्ट सेवा की शुरूआत कब की गई?— 1 अप्रैल, 1986 को
26. डाक के कुशल एवं उचित हैंडलिंग के लिए पिन कोड प्रणाली किस वर्ष चालू की गयी?— 1972 में
27. पिन कोड में कुल कितने अंक होते हैं?— 6 अंक
28. पूरे देश को कुल कितने डाक सूचक मंडलों में बाँटा गया है?— आठ
29. देश में किस स्थान पर एकमात्र पिजन( कबूतर ) पोस्ट केन्द्र हैं?— ओडिशा के कटक में ( 1946 में शुरू किया गया )
30. डाक विभाग द्वारा ‘इंदिरा विकास पत्र’ योजना कब प्रारम्भ की गई?— नवम्बर 1986 में
31. केन्द्रीय भर्ती शुल्क टिकट कब जारी की गई?— दिसम्बर 1986 को
32. किसान विकास पत्र योजना कब प्रारम्भ हुई?— अप्रैल 1988 में
33. पिन कोड के छ: अंक क्या इंगित करते हैं?—प्रथम अंक डाक सूचक मंडल, द्वितीय एवं तृतीय अंक उप-मण्डल तथा अंतिम तीन अंक उप-मण्डल में वांछित डाकघर की सही स्थिति बताते है
को जारी )
24. आकार की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा डाक टिकट किसका था?— राजीव गांधी ( 1991 में जारी किया गया )
25. स्पीट पोस्ट सेवा की शुरूआत कब की गई?— 1 अप्रैल, 1986 को
26. डाक के कुशल एवं उचित हैंडलिंग के लिए पिन कोड प्रणाली किस वर्ष चालू की गयी?— 1972 में
27. पिन कोड में कुल कितने अंक होते हैं?— 6 अंक
28. पूरे देश को कुल कितने डाक सूचक मंडलों में बाँटा गया है?— आठ
29. देश में किस स्थान पर एकमात्र पिजन( कबूतर ) पोस्ट केन्द्र हैं?— ओडिशा के कटक में ( 1946 में शुरू किया गया )
30. डाक विभाग द्वारा ‘इंदिरा विकास पत्र’ योजना कब प्रारम्भ की गई?— नवम्बर 1986 में
31. केन्द्रीय भर्ती शुल्क टिकट कब जारी की गई?— दिसम्बर 1986 को
32. किसान विकास पत्र योजना कब प्रारम्भ हुई?— अप्रैल 1988 में
33. पिन कोड के छ: अंक क्या इंगित करते हैं?—प्रथम अंक डाक सूचक मंडल, द्वितीय एवं तृतीय अंक उप-मण्डल तथा अंतिम तीन अंक उप-मण्डल में वांछित डाकघर की सही स्थिति बताते है
भारतीय डाक और उसकी उत्कृष्ट सेवाएं
भारतीय
डाक अपनी परम्परागत
छवि से हट कर समाज
के प्रति वचनबद्ध,
प्रौद्योगिकी
युक्त और दूरदर्शी
संगठनके रूप में
उभर रहा है। समूचे
भारत में 1,55,015 डाक
घरों का विशाल
तंत्र फैला हुआ
है जिसमें से
1,39,144 ग्रामीण क्षेत्रों
में हैं, जो विश्व
भर में डाक घरों
का सबसे बड़ा तंत्र
है। डाक विभाग
जिन स्थानों में
डाक घर नहीं खोल
पाया है, वहां की
मांग को पूरी करने
के लिए अब तक 850 डाक
घरों की सेवाएं
उपलब्ध कराई जा
रही है।
यह तंत्र
न केवल सभी नागरिकों
के लिए आवश्यक
डाक सेवाएं उपलब्ध
कराने का सामाजिक
दायित्व पूरा
करने में मदद कर
रहा है बल्कि इन
क्षेत्रों में
आर्थिक गतिविधियों
के लिए भी उत्प्रेरक
का काम कर रहा है।
कम्प्यूटरों
के प्रगतिशील इस्तेमाल
और एक ही स्थान
पर माध्यम से जुड़ने
का तंत्र कायम
करके डाक घर खुदरा
उत्पादों और अन्य
सेवाओं को भारतीय
डाक के माध्यम
से भेजने का एक
एकीकृत माध्यम
उपलब्ध कराता
है।
परिवर्तित
डाक स्वरूप के
रूप में उपभोक्ता
से व्यापार तथा
कारोबार से अन्य
व्यापारिक स्थानों
तक के वर्ग में
डाक सेवा के विस्तार
में पर्याप्त
वृद्धि होती रही
है। सेवाओं और
सुविधाओं के मामले
में सामान्य लोगों
की आशाएं निरंतर
बढ़ती जा रही हैं
और उससे आर्थिक
परिदृश्य में
परिवर्तन आता जा
रहा है। सरकारें
और निगमित क्षेत्रों
ने आम लोगों तक
पहुंचने के लिए
भारतीय डाक के
विशाल तंत्र और
विश्वसनीयता का
इस्तेमाल करना
शुरू कर दिया है।
डाक
घरों के माध्यम
से उपलब्ध कराई
जाने वाली कुछ
सेवाएं इस प्रकार
हैं :-
राष्ट्रीय
ग्रामीण रोजगार
गारंटी स्कीम
(एनआरईजीएस) – डाक
विभाग के डाकखानों
को डाक कार्यालय
बचत बैंक खाता
के जरिए एनआरईजीएस
के लाभार्थियों
को वेतन की जिम्मेदारी
दी गई है। इस प्रकार
की सेवा 2006 में आंध्र
प्रदेश डाक सर्किल
से शुरू की गई है।
एनआरईजीएस के अंतर्गत
वेतन भुगतान इस
समय 21 राज्यों
के 19 डाक सर्किलों
में लागू है। एक
लाख डाक घरों के
जरिए इस स्कीम
का संचालन किया
जा रहा है। मार्च
2011 (जुलाई 2011) से अब तक
एनआरईजीएस के लगभग
4.9 करोड़ (5.04) खाते खोले
जा चुके हैं और
सिर्फ इस वित्तीय
वर्ष के दौरान
ही 7300 करोड़ रुपये
वितरित किये जा
चुके हैं।
*एस
बी आई के साथ गठबंधन
– इंडिया
पोस्ट का भारतीय
स्टेट बैंक के
साथ समझौता हुआ
है कि वह निर्धारित
डाक घरों के माध्यम
से अपनी आस्तियों
और दाय उत्पादों
की बिक्री करेगें।प्रारम्भ
में यह स्कीम
पांच राज्यों
में शुरू की गई
थी। बाद में 23 राज्यों
और केंद्रशासित
प्रदेशों में भी
शुरू कर दिया गया।
शुरू किये गये
विभिन्न प्रकार
के खातों की कुल
संख्या 1.04 लाख और
बिक्री की गई कुल
आस्तियां 17 करोड़
रुपये तक पहुंच
गईं।
नाबार्ड
के साथ गठबंधन
– नाबार्ड
के साथ सहयोग करते
हुए डाक विभाग
एजेंसी आधार पर
चिन्हित डाक घरों
के माध्यम से
स्वयं सहायता
समूह (एसएचजी) के
लिए माइक्रो क्रेडिट
सुविधा नाबार्ड
के साथ मिलकर उपलब्ध
करायेगी। बाद में
इस स्कीम को 23 राज्यों
और केंद्र शासित
प्रदेशों में भी
लागू कर दिया
जाएगा। विभिन्न
प्रकार के खोले
गए खातों की कुल
संख्या 1.04 लाख हो
गर्इ है और कुल बिक्री की
आस्तियां 17 करोड़
रुपये तक हो गई।
डाक विभाग, नाबार्ड
के साथ मिलकर एजेंसी
के आधार पर चिन्हित
डाकघरों के माध्यम
से स्वयं सहायता
समूहों के लिए
सूक्ष्म ऋण (माइक्रो
क्रेडिट) सुविधा
उपलब्ध करा रहा
है। प्रयोग के
तौर पर, पांच ज़िलों
में इसका कार्य
संचालन किया जा
रहा है। इसमें
तमिलनाडु सर्किल
के सात डिवीजनों
को सम्मिलित किया
जा रहा है। इस रिवाल्विंग
फंड की सहायता
राशि बढ़ाकर 3 करोड़
कर दी गई है। इस
स्कीम से 1,200 स्वयं
सहायता समूहों
को लाभ मिल रहा
है।
सोने
के सिक्कों की
बिक्री- रिलायंस
मनी लिमिटेड के
साथ मिलकर सोने के सिक्कों
की बिक्री कुछ
चुने हुए डाक घरों
में अक्टूबर,
2008 में शुरू की गई
। यह स्कीम 21 राज्यों
में 672 डाक कार्यालयों
में उपलब्ध है।
वृद्धावस्था
पेंशन- वृद्धावस्था
पेंशन का बिहार,
दिल्ली, झारखण्ड
और उत्तर-पूर्वी
राज्यों में 20
लाख पोस्ट ऑफिस
बचत खातों के माध्यम
से तथा जम्मू-कश्मीर,
कर्नाटक, हिमाचल
प्रदेश, गुजरात,
राजस्थान और तमिलनाडु
में मनी ऑर्डर
के जरिए भुगतान
किया जा रहा है।
आरटीआई
आवेदनों की ऑनलाइन
स्वीकृति- डाक
विभाग सूचना के
अधिकार कानून
के क्रियान्वयन
में केन्द्रसरकार
के अधीन अन्य
लोक प्राधिकारियों
को सहायता दे रहा
है। यह केन्द्रीय
सहायक जन सूचना
अधिकारियों
के जरिए सेवाएं
प्रदान कर रहा
है। तहसील स्तर
के उप पोस्ट मास्टर
बतौर केन्द्रीय
सहायक जन सूचना
अधिकारी काम कर
रहे हैं और आरटीआई
अनुरोध एवं आवेदन
स्वीकार कर रहे
हैं। विभाग ने
4000 डाक घरों को आरटीआई
आवेदन स्वीकार
कर उसे लोक प्राधिकारियों
तक पहुंचाने के
लिए निर्दिष्ट
किया है। इसके
लिए एक आरटीआई
सॉफ्टवेयर विकसित
किया गया है।
रेलवे
टिकट आरक्षण-
डाक घरों के माध्यम
से वर्तमान में
170 जगहों से रेलवे
के टिकट बेचे
जा रहे हैं। इस
योजना का विस्तार
गांवों में भी
किया जाएगा।
रूरल
प्राइस इंडेक्स
डाटा कलेक्शन-
सांख्यिकीय एवं
कार्यक्रम क्रियान्वयन
मंत्रालय ने अक्टूबर
2009 से देश के 1183 डाक
घरों को रूरल प्राइस
इंडेक्स तय करने
के लिए आंकड़े
इकठ्ठा करने की
जिम्मेदारी
सौंपी है। किसी
निश्चित कार्य
दिवस में डाक
घर के पोस्ट मास्टर
185 से 292 वस्तुओं
की कीमतें जुटाते
हैं। संग्रह किए
गए आंकडे इलेक्ट्रॉनिक
माध्यम से सांख्यिकीय
एवं कार्यक्रम
क्रियान्वयन
मंत्रालय को प्रेषित
किए जाते हैं।
इस कार्य से डाक
विभाग को 7 करोड
33 लाख रूपए की आय
हुई।
यूनिक
आइडेन्टीफिकेशन
नम्बर- डाक
विभाग देश के
सभी नागरिकों
तक आधार नंबर वितरित
कर इस मामले में
पूर्ण समाधान उपलब्ध
कराने का प्रयास
कर रहा है। डाक
घरों के विशाल
नेटवर्क के साथ
डाक विभाग ही
एक मात्र ऐसा विभाग
है जो यूनिक आइडेन्टीफिकेशन
नम्बर से जुडे
सभी समाधान उपलब्ध
करा सकता है। यूनिक
आइडेन्टीफिकेशन
अथॉरिटी ऑफ इण्डिया,
यूआर्इडीएआई का
उद्देश्य देश
के सभी नागरिकों
को आधार नंबर उपलब्ध
कराना है।
इसी
विशाल नेटवर्क
के जरिए यह देश
के हर नागरिक तक
अपनी पहुंच रखता
है। इसी को ध्यान
में रखते हुए भारतीय
विशिष्ट पहचान
प्राधिकरण (यूआर्इडीएआई)
और डाक विभाग ने
30 अप्रैल 2010 को अपने
पहले सहमति पत्र
पर हस्ताक्षर
किए। यह समझौता
कोलकाता जीपीओ
पर प्रिंट टू पोस्ट
सुविधा उपलब्ध
कराता है, जिसके
अन्तर्गत निवासी
की सूचनाओं का
संग्रह करने वाले
यूआईडी आधार
नंबर की छपाई होती
है। बडे नेटवर्क
के जरिए देश में
प्राप्तकर्ता
को शीघ्रता से
उसका आधार नंबर
पहुंचा दिया जाता
है।
उसके बाद
डाक विभाग के साथ
दूसरा समझौता
18 सितम्बर 2010 को हुए
जिसके अन्तर्गत
डाक विभाग, भारतीय
विशिष्ट पहचान
प्राधिकरण (यूआर्इडीएआई)
के लिए रजिस्ट्रार
के रूप में काम
करने के लिए सहमत
हुआ। यूआर्इडीएआई
द्वारा चुनी गई
नामांकन एजेंन्सियां
चिन्हित किए गए
डाक घरों में नामांकन
स्टेशन का कार्य
देखेंगी। नामांकन
स्टेशन सुविधा
उपलब्ध कराने
के लिए देश के 3700 डाक
घरों को चयनित
किया गया है। यह
स्टेशन सभी निवासियों
का जनसांख्कीय
तथा बायोमीट्रिक
आंकडे इकठ्ठा करने
और मियादी आधार
पर उन आंकडों को
अद्यतन करने में
मदद करेंगे।
डाक
खुदरा सेवा- भारतीय
डाक विभाग और फैबइंण्डिया
ने उपभोक्ता को
लाभान्वित करने
के भागीदारी की
है, जो कि अपनी तरह
की पहली सरकारी
निजी भागीदारी
है। फैबइंण्डिया
के प्रमुख स्टोर
पर अपना खुदरा
काउंटर खोलने के
साथ ही भारतीय
डाक विभाग ने उपभोक्ताओं
को परेशानी मुक्त
खुदरा डाक सेवा
उपलब्ध कराने
का प्रस्ताव रखा
है, जिससे देश ही
नहीं बल्कि विदशों
में भेजने के लिए
भी उपभोक्ता को
फैबइंण्डिया के
उत्पाद खरीदकर
उन्हें पैकिंग
से लेकर डिस्पैच
तक में सुविधा
रहेगी। उपभोक्ताओं
को सामान की बुकिंग
के लिए दिल्ली
पोस्टल सर्किल
के डाक कर्मी फैबइंण्डिया
के काउंटर पर ही
सेवा देंगे। डाक
विभाग द्वारा सबसे
पहले खुदरा सेवा
जवाहर व्यापार
भवन कॉटेज एंपोरियम,
नई दिल्ली में
शुरू की गई। फैबइंण्डिया
के साथ शुरू की
गई यह सेवा एक तरह
से उसी का विस्तार
है। इससे ग्राहक
को शॉपिंग कॉम्पलेक्स
में ही स्पीड पोस्ट
और रजिस्टर्ड
पार्सल बुकिंग
जैसी सुविधाएं
मिल जाती हैं।
वीजा
संबंधी सेवाएं- भारतीय
डाक ने डाकघरों
के माध्यम से
विभिन्न देशों
के लिए वीजा संबंधी
सेवाएं प्रदान
करने के उद्देश्य
से मैसर्स वीएफएस
ग्लोबल के साथ
एक सहमति-पत्र
पर हस्ताक्षर
किया। 30 अगस्त,
2011 को हस्ताक्षर
किए गए सहमति-पत्र
में उन स्थानों
पर वीजा संबंधी
सेवाएं प्रदान
करने के बारे में
व्यापक समझ और
इरादों का उल्लेख
किया गया है, जहां
फिलहाल ये सेवाएं
उपलब्ध नहीं हैं।
शुल्क वसूलने,
वीजा आवेदन प्रपत्र
उपलब्ध कराने,
वीजा के बारे में
सूचनाओं का प्रसार
करना, वायो-मैट्रिक
पंजीकरण करने और
वीजा के लिए आवेदन
करने की अन्य
प्रक्रियाओं से
संबंधित सेवाओं
के लिए डाकघरों
के काउंटरों का
इस्तेमाल किया
जाएगा। भारतीय
डाक और वीएफएस
इस दिशा में प्रयत्नशील
हैं कि भारतीय
डाक कुरियर सेवा,
वीएफएस कार्यालयों
और संबंधित दूतावासों
तक पासपोर्ट पहुंचाने
के लिए स्पीड
पोस्ट और फिर
आवेदकों तक उन्हें
वितरित करने में
सहयोग कायम किया
जा सके। दोनों
पक्ष अन्य किसी
प्रकार की सेवा
प्रदान करने की
दिशा में संभावनाओं
को भी तलाशेंगे,
जिससे कि भारतीय
डाक परस्पर मान्य
शर्तों के आधार
पर वीएफएस ग्लोबल
नेटवर्क के माध्यम
से सेवाएं प्रदान
कर सकेगा।
कूलरों
की बिक्री- भारतीय
डाक ने तमिलनाडु
में राज्य के
सभी डाकघरों के
माध्यम से थर्मो-इलैक्ट्रिक
कूलर ‘चोटूकूल’ की बुकिंग
के लिए मैसर्स
गोदरेज एंड बोयेस
मेन्युफैक्चरिंग
कंपनी लिमिटेड
के साथ समझौता
किया है। 12 अगस्त,
2011 को यह योजना शुरू
की गई थी।
भारतीय
डाक की साझेदारी:
2012 और उसके बाद- ‘भारतीय
डाक की साझेदारी:
2012 और उसके बाद’ के विषय
पर चर्चा के लिए
हाल में सभी हितधारकों
का एक गोल मेज सम्मेलन
आयोजित किया गया
था। इस सम्मेलन
के आयोजन का उद्देश्य
यह था कि डाकघरों
को देश के सामाजिक
और आर्थिक विकास
में अपेक्षाकृत
एक बड़ी और प्रभावकारी
भूमिका निभाने
के लिए समर्थ बनाया
जा सके। इससे डाक
विभाग को भविष्य
का व्यापार प्रारूप
विकसित करने और
भारतीय डाक 2012 परियोजना
के प्रौद्योगिकीय
ढांचे के साथ जोड़ने
में मदद मिलेगी।
इस गोल
मेज सम्मेलन में
बैंकिंग, बीमा,
दूरसंचार, एफएमसीजी,
सूचना प्रौद्योगिकी,
ई-कॉमर्स, उपस्कर,
प्रकाशन, वित्तीय
संस्थाओं, सरकारी
मंत्रालयों और
विभागों, औद्योगिक
संघों, शैक्षिक
क्षेत्र आदि के
प्रमुख हितधारकों
के रूप में लगभग
70 प्रतिनिधियों
ने भाग लिया और
भारतीय डाक 2012 परियोजना
को साकार करने
के बारे में और
भारतीय डाक के
साथ रणनीतिक संबंध
जोड़ने के बारे
में विचार-विमर्श
किया। लगभग
1.5 लाख डाकघरों के
नेटवर्क और डाक,
उपस्कर, वित्त,
जमा राशि, बीमा,
बचत खाता और खुदरा
कार्यों सहित अपनी
विशाल और व्यापक
सेवाओं के साथ
आर्थिक विकास में
तेजी लाने के संदर्भ
में भारतीय डाक
अत्यधिक महत्वपूर्ण
भूमिका निभा सकता
है।
‘परियोजना
ऐरो’ के
अधीन डाकघरों की
रूपरेखा में बदलाव
करके, तीन समर्पित
माल वाहक विमान
लीज पर लेकर, 162 डाक
व्यापार केंद्र
स्थापित करके
और दिल्ली, कोलकाता,
हैदराबाद, बंगलौर,
में स्वचालित
डाक प्रक्रिया
प्रणाली स्थापित
करने के साथ ही
मुम्बई और चेन्नई
स्थित मौजूदा स्वचालित
डाक प्रक्रिया
केंद्रों का उन्नयन
करके भारतीय डाक
चुनौतियों को एक
अवसर के रूप में
बदल कर जनता की
शीघ्र और बेहतर
सेवा के प्रति
दृढ़संकल्प है।
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